शिवलिंग पर दूध चढ़ाते ही रंग हो जाता है नीला, जानिए भीमा कोटेश्वर धाम की अद्भुत कहानी

शिवलिंग पर दूध चढ़ाते ही रंग हो जाता है नीला, जानिए भीमा कोटेश्वर धाम की अद्भुत कहानी

कोटेश्वर महादेव मंदिर का स्थान और दूरी

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से कोटेश्वर महादेव मंदिर की दूरी लगभग 125-130 किमी है। यह मंदिर धमतरी जिले के सिहावा के घने जंगलों के बीच स्थित जो की धमतरी जिला मुख्यालय से 65 किमी दूरी पर है। यहाँ पहुँचने के लिए धमतरी होते हुए सड़क मार्ग से जाया जा सकता है।

शिवलिंग की अद्भुत मान्यता

यहाँ स्थित शिवलिंग को नीलकंठेश्वर महादेव का स्वरूप माना जाता है। विशेष बात यह है कि जब इस शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है तो दूध का रंग नीला हो जाता है। यह चमत्कार भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है।

मंदिर की विशेषताएँ

यह स्वयंभू शिवलिंग है, जो किसी भी प्रकार से तराशा या बनाया नहीं गया है। शिवलिंग की ऊँचाई लगभग साढ़े चार फीट है। यह स्थान दंडकारण्य (दंडक वन) का एक हिस्सा है, जहाँ भगवान श्रीराम ने वनवास के दौरान समय बिताया था। मान्यता है कि सागर मंथन के समय जब हलाहल विष निकला था, तब भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण किया और उनका कंठ नीला पड़ गया। इसलिए उन्हें नीलकंठ कहा जाता है। कोटेश्वर महादेव शिवलिंग को भगवान शिव के उसी स्वरूप से जोड़ा जाता है। यहाँ आज भी दूध चढ़ाने पर उसका रंग नीला हो जाता है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।

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रावण की तपस्या

त्रेतायुग में राक्षसराज रावण ने अपने पूर्वजों के साथ इस शिवलिंग की पूजा की थी। कहा जाता है कि रावण ने यहीं पर कठोर तपस्या कर भगवान शिव से कई दिव्य अस्त्रों का वरदान प्राप्त किया था। मान्यता यह भी है कि रावण के दादा पुलत्स्य ऋषि आज भी दंडक वन में मौजूद हैं और हर मध्यरात्रि इस शिवलिंग की पूजा करते हैं।

दंडक वन का महत्व

धमतरी से ही दंडक वन की शुरुआत होती है, जो पाँच राज्यों तक फैला हुआ है। यह वन रामायण काल से जुड़ा हुआ है और सप्तऋषियों की तपोभूमि भी रहा है। कहा जाता है कि भगवान राम ने यहीं पर सप्तऋषियों से दिव्यास्त्रों की शिक्षा प्राप्त की थी।

धार्मिक पर्यटन का महत्वपूर्ण केंद्र

कोटेश्वर महादेव मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि एक प्राकृतिक और ऐतिहासिक धरोहर भी है। हर साल हजारों श्रद्धालु यहाँ महाशिवरात्रि और सावन के महीने में दर्शन करने आते हैं। जंगलों के बीच स्थित यह मंदिर एक दिव्य आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।

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