छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में बसे एक छोटे से गाँव करेला की गोद में स्थित है माँ करेला भवानी का पवित्र मंदिर। यह मंदिर देवी दुर्गा के एक दिव्य अवतार, माँ करेला भवानी को समर्पित है, जो श्रद्धालुओं के बीच आस्था और शक्ति की प्रतीक मानी जाती हैं।
करेला पहाड़ की ऊँचाइयों पर बसा माँ करेला भवानी मंदिर चारों ओर फैली हरियाली, शांति और दिव्यता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ आने वाले हर श्रद्धालु को प्राकृतिक सुंदरता के बीच आत्मिक शांति का अनुभव होता है। ऐसा लगता है जैसे माँ की उपस्थिति पूरी वादियों में व्याप्त हो। हाल ही में मंदिर तक पहुँचने के लिए 900 सीढ़ियों का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ है, जो भक्तों को अब सुरक्षित, व्यवस्थित और सुगम मार्ग प्रदान करता है। इन सीढ़ियों के किनारे रेलिंग भी लगाई गई है, जिससे बुजुर्ग और बच्चे भी आराम से ऊपर पहुँच सकें। सीढ़ियाँ चढ़ते हुए हर मोड़ पर माँ का आशीर्वाद महसूस होता है। यह स्थान न केवल एक धार्मिक केंद्र है, बल्कि एक गहराई से भरा आत्मिक अनुभव भी है। मंदिर का शांत वातावरण, पर्वतीय दृश्य और माँ की दिव्यता हर भक्त को मानसिक शांति और आंतरिक संबल प्रदान करती है।
यहाँ आकर ऐसा लगता है मानो सारे दुःख माँ की गोद में आकर समाप्त हो जाते हैं कहा जाता है कि मंदिर की मूर्ति स्वयं भूमि से प्रकट हुई थी (स्वयंभू), जिससे यह स्थान और भी चमत्कारी व शक्तिशाली माना जाता है। वर्षों से यह आस्था का केंद्र रहा है, जहाँ भक्त बिना किसी भेदभाव के माँ की शरण में आते हैं।
डोंगरगढ़ के प्रसिद्ध माँ बम्लेश्वरी मंदिर के निकट होने के बावजूद, माँ करेला भवानी मंदिर को अभी व्यापक मान्यता प्राप्त नहीं हुई है। जहाँ बम्लेश्वरी मंदिर में हमेशा भक्तों की भीड़ रहती है, वहीं करेला भवानी मंदिर का शांत वातावरण एक अलग ही चिंतनशील और आत्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।
हर वर्ष चैत्र और क्वांर मास में माँ करेला भवानी मंदिर परिसर में भव्य (Grand) मेले का आयोजन होता है, जो श्रद्धा, उत्सव और सांस्कृतिक रंगों से सराबोर रहता है। इन अवसरों पर मंदिर क्षेत्र में हजारों की संख्या में भक्त एकत्रित होते हैं, जो माँ के दर्शन, पूजा और आशीर्वाद की कामना लेकर आते हैं। यह समय पूरे क्षेत्र को भक्तिमय ऊर्जा से भर देता है। मंदिर को रंग-बिरंगी रोशनी, सजावट और धार्मिक झांकियों से सुसज्जित किया जाता है, जो भक्तों के मन में आनंद और उत्साह की भावना को और बढ़ा देता है। दूर-दराज़ से श्रद्धालु अपनी आस्था (Faith) के प्रतीक के रूप में माँ की चरणों में तेल ज्योत (Oil Lamp) अर्पित करने आते हैं। इन जलती हुई ज्योतों में हर किसी की श्रद्धा, मनोकामना और भावना छिपी होती है – जैसे माँ के सामने कहे बिना सब कुछ अर्पित कर दिया गया हो।
करेला पहाड़ की ऊँचाई पर स्थित यह मंदिर चारों ओर से हरियाली और शांति से घिरा हुआ है। यहाँ तक पहुँचने के लिए 900 सीढ़ियों का निर्माण कार्य अब पूर्ण हो चुका है, जिससे भक्तों के लिए यात्रा अधिक सरल और सुरक्षित हो गई है।
यहाँ का शांत वातावरण और माँ की दिव्य उपस्थिति (Presence) श्रद्धालुओं को एक आत्मिक (Spiritual) अनुभव प्रदान करती है।
मंदिर तक पहुँचने के बाद पहाड़ी के ऊपर एक सुंदर सेल्फी पॉइंट है, जहाँ से घाटियों (Valleys) और पहाड़ों का नज़ारा बेहद आकर्षक लगता है। यहाँ आकर लोग अपने खास पलों को कैमरे में कैद कर यादगार बनाते हैं।
गर्मी के मौसम में 900 सीढ़ियाँ चढ़ना थोड़ा थकाऊ हो सकता है, इसलिए पानी की बोतल ज़रूर साथ रखें। ऑफ-सीज़न में सीढ़ियों के किनारे दुकानों की संख्या कम हो जाती है, जिससे आराम के लिए जगह कम मिलती है। हालांकि अब सीढ़ियाँ पूरी तरह बन चुकी हैं और ग्रिल भी लगी हैं, जिससे चढ़ाई सुरक्षित और आसान हो गई है।
मंदिर परिसर और रास्ते में कई बंदर रहते हैं, जो भक्तों के थैलों में खाना देखकर झपट्टा मार सकते हैं। कृपया थैलों को छुपाकर रखें और बच्चों को अपने साथ सुरक्षित रखें। यह छोटा सा ध्यान आपकी यात्रा को सुखद बना सकता है।
यह मंदिर सालभर दर्शन के लिए खुला रहता है और हर मौसम में यहाँ जाया जा सकता है। नवरात्रि में यहाँ की रौनक कुछ और ही होती है, जहाँ रोशनी और भक्तों की भीड़ मंदिर को जीवंत बना देती है।
जो श्रद्धालु स्वास्थ्य या उम्र के कारण ऊपर नहीं जा पाते, उनके लिए पहाड़ी के नीचे ही माँ करेला भवानी का एक और रूप मंदिर के रूप में स्थापित है। यहाँ भी माँ का दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।
स्थान (Location): ग्राम करेला, जिला राजनांदगांव, छत्तीसगढ़ राजनांदगांव से करेला भवानी की दूरी - 37 किमी। करेला भवानी रायपुर से दूरी - 97 किलोमीटर। डोंगरगढ़ और खैरागढ़ दोनों जगहों से दूरी लगभग 20 किलोमीटर है। मुख्य मार्ग से मंदिर लगभग 2 किलोमीटर अंदर स्थित है। मंदिर तक पहुँचने के लिए निजी वाहन (Private Vehicle) या ऑटो/टैक्सी से आसानी से पहुँचा जा सकता है। गूगल मैप पर "Maa Karela Bhawani Temple" सर्च करके रास्ता देख सकते हैं।
मंदिर दर्शन के पश्चात भक्त और पर्यटक पास ही स्थित डंगबोरा जलाशय (Dangbora Reservoir – 5 किमी दूर) में पिकनिक मनाने जाते हैं। साथ ही, कोपे नवागांव में स्थित माँ विंध्यवासिनी पहाड़ (8 किमी दूर) भी एक पवित्र स्थल है, जहाँ देवी की दूसरी रूप में पूजा होती है।