श्री सोलापुरी शीतला माता पूजा समिति, रायपुर – 50 वर्षों से चली आ रही आस्था की परंपरा

श्री सोलापुरी शीतला माता पूजा समिति, रायपुर – 50 वर्षों से चली आ रही आस्था की परंपरा

श्री सोलापुरी शीतला माता पूजा महोत्सव की जानकारी

श्री सोलापुरी शीतला माता को स्वास्थ्य और रोगनाशिनी देवी माना जाता है। गर्मी के दिनों में विशेष रूप से माता की पूजा इसलिए की जाती है ताकि समाज में रोग और अशांति ना फैले। शीतला माता को प्रसन्न करने से बच्चों और बुजुर्गों को विशेष लाभ मिलता है। यह पूजा रायपुर की WRS कॉलोनी में लगभग 1974 से शुरू हुई थी। तब से अब तक यह परंपरा लगातार जारी है और 2024 में इसकी स्वर्ण जयंती (50 साल) मनाई गई। पूरे क्षेत्र में यह आयोजन श्रद्धा, एकता और सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक बन चुका है।

श्री सोलापुरी शीतला माता मंदिर रायपुर रेलवे स्टेशन से मात्र 3 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ तक पहुँचना बेहद आसान है।

दिन के हिसाब से पूजा की जानकारी

साल 2025 में यह महोत्सव 2 मई से प्रारंभ होकर 11 मई तक आयोजित किया जा रहा है। यह एक सप्ताह तक चलने वाला आयोजन है जिसमें हर दिन खास पूजा और कार्यक्रम होते हैं।

इस 10 दिवसीय महोत्सव के दौरान:

हर दिन की पूजा अलग-अलग परंपरा और विधियों के अनुसार संपन्न होती है।

  • 2 मई: कलश यात्रा एवं स्थापना
  • 3-5 मई: देवी की विशेष पूजा, मातृ शक्तियों का स्वागत
  • 6-8 मई: भजन संध्या, देवी जागरण और संस्कृतिक कार्यक्रम
  • 9 मई: महिला मंडल द्वारा विशेष पूजा
  • 10 मई: हवन और भंडारा
  • 11 मई: विसर्जन यात्रा एवं समापन समारोह

UploadedFiles/WhatsApp_Image_2025-05-08_at_001403_1e292e8e_1489.jpg
समिति और संगठन की जानकारी – श्री श्री श्री सोलापुरी शीतला माता पूजा समिति

इस महोत्सव का संचालन "श्री श्री श्री सोलापुरी शीतला माता पूजा समिति - WRS कॉलोनी" द्वारा किया जाता है। यह समिति 50 वर्षों से अधिक समय से निष्ठा और सेवा के साथ इस आयोजन को संभाल रही है। समिति में कॉलोनी के कई वरिष्ठ नागरिक, युवा, महिला मंडल और समाजसेवी सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं।

समिति द्वारा हर साल एकजुट होकर पंडाल निर्माण, सुरक्षा व्यवस्था, मेले की अनुमति, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और भंडारा जैसे अनेक कार्य सफलतापूर्वक आयोजित किए जाते हैं।

मेले की भव्यता और विशेषताएं

इस पूजा महोत्सव के दौरान पूरा क्षेत्र मेले के रूप में तब्दील हो जाता है। मेले में बच्चों के लिए झूले, बुजुर्गों और परिवारों के लिए स्वादिष्ट व्यंजन और खरीदारी के स्टॉल लगाए जाते हैं।

लगभग 1 किलोमीटर तक सड़क के दोनों ओर खाने-पीने की दुकानें, खिलौनों की दुकानें, और झूले लगे रहते हैं। शाम होते ही यहाँ लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है, जिससे यह आयोजन किसी बड़े शहर के मेले जैसा महसूस होता है।

You can share this post!

Related Post